लेखनी कविता -मुर्गा बोला - बालस्वरूप राही

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मुर्गा बोला / बालस्वरूप राही मुर्गा बोला- "कुकड़ूँ कूँ", लेकिन इतनी जल्दी क्यूँ ? रात देर से सोया था, मैं सपनों में खोया था, धूप ठीक से नहीं चढ़ी, क्या है ...

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